अब तो बे-दाद पे बे-दाद करेगी दुनिया
हम न होंगे तो हमें याद करेगी दुनिया
ज़िंदगी भाग चली मौत के दरवाज़े से
अब क़फ़स कौन सा ईजाद करेगी दुनिया
हम तो हाज़िर हैं पर ऐ सिलसिला-ए-जौर-ए-क़दीम
ख़त्म कब विर्सा-ए-अज्दाद करेगी दुनिया
सामने आएँगे अपनी ही वफ़ा के पहलू
जब किसी और को बरबाद करेगी दुनिया
क्या हुए हम कि न थे मर्ग-ए-बशर के क़ाइल
लोग पूछेंगे तो फ़रियाद करेगी दुनिया
ग़ज़ल
अब तो बे-दाद पे बे-दाद करेगी दुनिया
क़तील शिफ़ाई