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आतिश-ए-इश्क़ सूँ जो जलता है | शाही शायरी
aatish-e-ishq sun jo jalta hai

ग़ज़ल

आतिश-ए-इश्क़ सूँ जो जलता है

दाऊद औरंगाबादी

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आतिश-ए-इश्क़ सूँ जो जलता है
वो सदा मिस्ल-ए-शम्अ गलता है

थाम क्यूँकर सकूँ वफ़ूर-ए-सरिश्क
बहर-ए-दिल ग़म सती उबलता है

बहर-ए-दिल में है गरचे गौहर-ए-अश्क
सदफ़दुर-ए-चश्म सूँ निकलता है

रोज़-ए-बद कुइ रफ़ीक़ नीं किस का
साया वक़्त-ए-ज़वाल ढलता है

जब सूँ रौशन है मुझ सुख़न का शम्अ
रश्क सेतीं 'सिराज' जलता है

शेर 'दाऊद' का मिसाल-ए-ख़ार
हासिदों के जिगर में सलता है