आतिश-ए-इश्क़ में जलता रहा बुझता रहा दिल
रंज-ए-बेताब से दरिया कभी सहरा रहा दिल
इक सफ़र हाँ वो सफ़र पाँव की ज़ंजीर बना
बा'द ऐ यार तिरी याद में जलता रहा दिल
महफ़िल-आराई की ख़्वाहिश थी सो दिल उस के सबब
महफ़िल-आरा रहा वीराँ रहा तन्हा रहा दिल
मौजा-ए-ख़ूँ किसी सीने में रुका था कल रात
दर्द उठता रहा चुभता रहा दुखता रहा दिल
ग़ज़ल
आतिश-ए-इश्क़ में जलता रहा बुझता रहा दिल
अली वजदान