आसमाँ की रिफ़अतों से तर्ज़-ए-यारी सीख लो
सर उठा कर चलने वालो ख़ाकसारी सीख लो
पेश-ख़ेमा हैं तनज़्ज़ुल का तकब्बुर और ग़ुरूर
मर्तबा चाहो तो पहले इंकिसारी सीख लो
ख़ुद बदल जाएगा नफ़रत की फ़ज़ाओं का मिज़ाज
प्यार की ख़ुशबू लुटाओ मुश्कबारी सीख लो
चुन लो क़िर्तास ओ क़लम या तेग़ कर लो इंतिख़ाब
कोई फ़न अपनाओ लेकिन शाहकारी सीख लो
फिर तुम्हारे पाँव छूने ख़ुद बुलंदी आएगी
सब दिलों पर राज कर के ताज-दारी सीख लो
इश्क़ का मैदान आसाँ तो नहीं है मोहतरम
इश्क़ करना ही अगर है ग़म-शिआरी सीख लो
जिस शजर की छाँव हो 'माजिद' ज़माने के लिए
कैसे होगी इस शजर की आबियारी सीख लो
ग़ज़ल
आसमाँ की रिफ़अतों से तर्ज़-ए-यारी सीख लो
माजिद देवबंदी