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आशिक़ न अगर वफ़ा करेगा | शाही शायरी
aashiq na agar wafa karega

ग़ज़ल

आशिक़ न अगर वफ़ा करेगा

मीर मोहम्मदी बेदार

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आशिक़ न अगर वफ़ा करेगा
फिर और कहो तो क्या करेगा

मत तोड़यो दिल सनम किसी का
अल्लाह तिरा भला करेगा

है आलम-ए-ख़्वाब हाल-ए-दुनिया
देखेगा जो चश्म वा करेगा

जीता न बचेगा कोई ज़ालिम
ऐसी ही जो तू अदा करेगा

कल के तो कई पड़े हैं ज़ख़्मी
क्या जानिए आज क्या करेगा

आ जाएगा सामने तू जिस के
दिल क्या है कि जी फ़िदा करेगा

क्या जानिए क्या करेगा तूफ़ाँ
गर अश्क यूँही बहा करेगा

'बेदार' ये बैत-ए-दर्द रो रो
फ़ुर्क़त में तिरी पढ़ा करेगा

''अपनी आँखों में तुझ को देखूँ
ऐसा भी कभू ख़ुदा करेगा''