आशिक़ न अगर वफ़ा करेगा
फिर और कहो तो क्या करेगा
मत तोड़यो दिल सनम किसी का
अल्लाह तिरा भला करेगा
है आलम-ए-ख़्वाब हाल-ए-दुनिया
देखेगा जो चश्म वा करेगा
जीता न बचेगा कोई ज़ालिम
ऐसी ही जो तू अदा करेगा
कल के तो कई पड़े हैं ज़ख़्मी
क्या जानिए आज क्या करेगा
आ जाएगा सामने तू जिस के
दिल क्या है कि जी फ़िदा करेगा
क्या जानिए क्या करेगा तूफ़ाँ
गर अश्क यूँही बहा करेगा
'बेदार' ये बैत-ए-दर्द रो रो
फ़ुर्क़त में तिरी पढ़ा करेगा
''अपनी आँखों में तुझ को देखूँ
ऐसा भी कभू ख़ुदा करेगा''
ग़ज़ल
आशिक़ न अगर वफ़ा करेगा
मीर मोहम्मदी बेदार