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आप-बीती ज़रा सुना ऐ दश्त | शाही शायरी
aap-biti zara suna ai dasht

ग़ज़ल

आप-बीती ज़रा सुना ऐ दश्त

बलवान सिंह आज़र

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आप-बीती ज़रा सुना ऐ दश्त
शहर को देर तक रुला ऐ दश्त

किस को आवाज़ दूँ मैं तेरे सिवा
कौन है मेरा आश्ना ऐ दश्त

अब तो बारिश में भी नहीं हँसते
तेरे पेड़ों को क्या हुआ ऐ दश्त

क़ैस के पावँ में था रक़्साँ जो
वो बगूला किधर गया ऐ दश्त

ख़ाक ही ख़ाक को उड़ाती है
ख़ूब है तेरा सिलसिला ऐ दश्त