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आओ कुछ शग़्ल करें बैठे हैं उर्यां इतने | शाही शायरी
aao kuchh shaghl karen baiThe hain uryan itne

ग़ज़ल

आओ कुछ शग़्ल करें बैठे हैं उर्यां इतने

क़ाएम चाँदपुरी

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आओ कुछ शग़्ल करें बैठे हैं उर्यां इतने
फाड़ें सीना ही गो हाथ आए गरेबाँ इतने

आह कोई जो उसे आन के समझाता हो
देखते हैं खड़े हिन्दू ओ मुसलमाँ इतने

सच कह ऐ बाद-ए-सबा है किसी गुल पर ये बहार
तू ने देखे हैं ज़माने के गुलिस्ताँ इतने

शोर महशर का रहे क्यूँ न तिरे कूचे में
जिस जगह होवें इकट्ठे दिल-ए-नालाँ इतने

हम से वामाँदों को अल्लाह निबाहे तो निभें
तन सो ये ख़स्ता ओ दरपेश बयाबाँ इतने

दम भी कुछ चीज़ है जब चूक गया बात तमाम
कौन सी ज़ीस्त पे तू करता है सामाँ इतने

तुझ को 'क़ाएम' रखे अल्लाह बहुत सा ऐ अमीर
मुजतमा साए में हैं जिस के सुख़न-दाँ इतने