आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें
ज़ुल्फ़ की रुख़्सार की बातें करें
ज़ुल्फ़-ए-अम्बर-बार के क़िस्से सुनाएँ
तुर्रा-ए-तर्रार की बातें करें
फूल बरसाएँ बिसात ऐश पर
रोज़ वस्ल यार की बातें करें
नक़्द-ए-जाँ ले कर चलें उस बज़्म में
मिस्र के बाज़ार की बातें करें
उन के कूचे में जो गुज़री है कहीं
साया-ए-दीवार की बातें करें
आख़िरी साअत शब-ए-रुख़्सत की है
आओ अब तो प्यार की बातें करें
ग़ज़ल
आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें
चराग़ हसन हसरत