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आँखों में मिरी फिरती है तस्वीर किसी की | शाही शायरी
aankhon mein meri phirti hai taswir kisi ki

ग़ज़ल

आँखों में मिरी फिरती है तस्वीर किसी की

मरदान सफ़ी

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आँखों में मिरी फिरती है तस्वीर किसी की
तस्वीर में हूँ मेरी है तस्वीर किसी की

बुत अपने ही को कहते हैं सब अहल-ए-तसव्वुफ़
तस्वीर-ए-बुताँ होती है तस्वीर किसी की

है पेश-ओ-अक़ब दिल के मिरे और चप-ओ-रास्त
हर लहज़ा मियाँ फिरती है तस्वीर किसी की

हस्ती है कहीं और न बस्ती है किसी की
देखा तो यही हस्ती है तस्वीर किसी की

तस्वीर मिरी मेरे मुसव्विर की है 'मर्दां'
हर-दम ये सदा देती है तस्वीर किसी की