आँखों में मिरी फिरती है तस्वीर किसी की
तस्वीर में हूँ मेरी है तस्वीर किसी की
बुत अपने ही को कहते हैं सब अहल-ए-तसव्वुफ़
तस्वीर-ए-बुताँ होती है तस्वीर किसी की
है पेश-ओ-अक़ब दिल के मिरे और चप-ओ-रास्त
हर लहज़ा मियाँ फिरती है तस्वीर किसी की
हस्ती है कहीं और न बस्ती है किसी की
देखा तो यही हस्ती है तस्वीर किसी की
तस्वीर मिरी मेरे मुसव्विर की है 'मर्दां'
हर-दम ये सदा देती है तस्वीर किसी की

ग़ज़ल
आँखों में मिरी फिरती है तस्वीर किसी की
मरदान सफ़ी