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आँखें दे आईना दे | शाही शायरी
aankhen de aaina de

ग़ज़ल

आँखें दे आईना दे

शीन काफ़ निज़ाम

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आँखें दे आईना दे
लेकिन पहले चेहरा दे

दरिया जैसा सहरा दे
उस में एक जज़ीरा दे

लौटा ले अपनी बस्ती
मुझ को मेरा सहरा दे

मैं पैदल और घोड़े पर
सर नेज़े से ऊँचा दे

रहने दे जलती धरती
तू सूरज को साया दे

हिरनी जैसी आँखों को
सहराओं को सपना दे