आँखें दे आईना दे
लेकिन पहले चेहरा दे
दरिया जैसा सहरा दे
उस में एक जज़ीरा दे
लौटा ले अपनी बस्ती
मुझ को मेरा सहरा दे
मैं पैदल और घोड़े पर
सर नेज़े से ऊँचा दे
रहने दे जलती धरती
तू सूरज को साया दे
हिरनी जैसी आँखों को
सहराओं को सपना दे

ग़ज़ल
आँखें दे आईना दे
शीन काफ़ निज़ाम