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आँख पर ए'तिबार हो जाए | शाही शायरी
aankh par eatibar ho jae

ग़ज़ल

आँख पर ए'तिबार हो जाए

अब्दुल मन्नान तरज़ी

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आँख पर ए'तिबार हो जाए
दिल को गर तुम से प्यार हो जाए

मौत बा-ए'तिबार हो जाए
ज़िंदगी शरह-दार हो जाए

तुम को मिल जाएगा सुकूँ शायद
दिल अगर बे-क़रार हो जाए

हारने वाले है दुआ मेरी
मेरी हर जीत हार हो जाए

मौत इस को न क्यूँ गवारा हो
ज़िंदगी जिस पे बार हो जाए

जिस को निस्बत तुम्हारे नाम से हो
वो ग़ज़ल पुर-वक़ार हो जाए

तेरी नज़रों से जब गिरे 'तरज़ी'
अपनी नज़रों में ख़ार हो जाए