आख़िरश कर लिया क़ुबूल हमें 
उस ने भेजे हैं लाल फूल हमें 
एक लड़की का ख़्वाब हैं हम भी 
कोई समझे नहीं फ़ुज़ूल हमें 
इस क़दर याद कर रहे हो तुम 
यानी जाओगे तुम भी भूल हमें 
हम हैं ख़ुशबू हवा के दोश पे हैं 
जल्द कर लीजिए वसूल हमें 
मुख़्तसर कीजिए कहानी को 
आप तो दे रहे हैं तूल हमें 
राह तेरी नहीं तकेंगे हम 
शर्त ये भी तिरी क़ुबूल हमें 
और कुछ रंग शेर में आए 
ज़िंदगी और कर मलूल हमें
        ग़ज़ल
आख़िरश कर लिया क़ुबूल हमें
ज़िया ज़मीर

