EN اردو
आज क्यूँ चुप हैं तेरे सौदाई | शाही शायरी
aaj kyun chup hain tere saudai

ग़ज़ल

आज क्यूँ चुप हैं तेरे सौदाई

अब्दुल मलिक सोज़

;

आज क्यूँ चुप हैं तेरे सौदाई
होश आया उन्हें कि मौत आई

अपने अरमान आप के वा'दे
इन खिलौनों से उम्र भलाई

पीने वालों की ख़ैर हो यारब
तेरी रहमत हुई घटा छाई

फ़िक्र-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ की नज़्र हुए
वो ग़म-ए-आशिक़ी वो रुस्वाई

जुस्तुजू की हुई तो यूँ तकमील
ज़िंदगी मौत की ख़बर लाई

'सोज़' जीने की आरज़ू में हम
बन गए मौत के तमन्नाई