आज दिल से दुआ करे कोई
हक़्क़-ए-उल्फ़त अदा करे कोई
जिस तरह दिल मिरा तड़पता है
यूँ न तड़पे ख़ुदा करे कोई
जान-ओ-दिल हम ने कर दिए क़ुर्बां
वो न माने तो क्या करे कोई
दिल-ए-बेताब की तमन्ना है
फिर कहूँ मैं सुना करे कोई
मस्त नज़रों से ख़ुद मिरा साक़ी
फिर पिलाइए पिया करे कोई
मय-ए-इरफ़ाँ के हम भी हैं मुश्ताक़
दर-ए-मय-ख़ाना वा करे कोई
शौक़-ए-दीदार दिल में है 'दर्शन'
आ भी जाए ख़ुदा करे कोई
ग़ज़ल
आज दिल से दुआ करे कोई
दर्शन सिंह