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आज बेचैन है बीमार ख़ुदा ख़ैर करे | शाही शायरी
aaj bechain hai bimar KHuda KHair kare

ग़ज़ल

आज बेचैन है बीमार ख़ुदा ख़ैर करे

बाबू सि द्दीक़ निज़ामी

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आज बेचैन है बीमार ख़ुदा ख़ैर करे
याद आता है रुख़-ए-यार ख़ुदा ख़ैर करे

अब नहीं ख़ैर किसी साहिब-ए-दिल की ऐ दोस्त
आज है हाथ में तलवार ख़ुदा ख़ैर करे

कौन होगा जिसे मैं अपना कहूँगा ऐ दिल
रूठे जाते हैं वो ग़म-ख़्वार ख़ुदा ख़ैर करे

वही जो इश्क़ में मसरूफ़ भी मसरूर भी था
वही 'सिद्दीक़' है बेज़ार ख़ुदा ख़ैर करे