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आइना अब जुदा नहीं करता | शाही शायरी
aaina ab juda nahin karta

ग़ज़ल

आइना अब जुदा नहीं करता

मुनीर नियाज़ी

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आइना अब जुदा नहीं करता
क़ैद में हूँ रिहा नहीं करता

मुस्तक़िल सब्र में है कोह-ए-गिराँ
नक़्श-ए-इबरत सदा नहीं करता

रंग-ए-महफ़िल बदलता रहता है
रंग कोई वफ़ा नहीं करता

ऐश-ए-दुनिया की जुस्तुजू मत कर
ये दफ़ीना मिला नहीं करता

जी में आए जो कर गुज़रता है
तू किसी का कहा नहीं करता

एक वारिस हमेशा होता है
तख़्त ख़ाली रहा नहीं करता

अहद-ए-इंसाफ़ आ रहा है 'मुनीर'
ज़ुल्म दाएम हुआ नहीं करता