आह ऐ यार क्या करूँ तुझ बिन
नाला-ए-ज़ार क्या करूँ तुझ बिन
एक दम भी नहीं क़रार मुझे
ऐ सितमगार क्या करूँ तुझ बिन
हूँ तिरी चश्म-ए-मस्त का मुश्ताक़
जाम-ए-सरशार क्या करूँ तुझ बिन
गो बहार आई बाग़ में लेकिन
सैर-ए-गुलज़ार क्या करूँ तुझ बिन
दिल है बेताब चश्म है बे-ख़्वाब
जान-ए-'बेदार' क्या करूँ तुझ बिन
ग़ज़ल
आह ऐ यार क्या करूँ तुझ बिन
मीर मोहम्मदी बेदार