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आह ऐ यार क्या करूँ तुझ बिन | शाही शायरी
aah ai yar kya karun tujh bin

ग़ज़ल

आह ऐ यार क्या करूँ तुझ बिन

मीर मोहम्मदी बेदार

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आह ऐ यार क्या करूँ तुझ बिन
नाला-ए-ज़ार क्या करूँ तुझ बिन

एक दम भी नहीं क़रार मुझे
ऐ सितमगार क्या करूँ तुझ बिन

हूँ तिरी चश्म-ए-मस्त का मुश्ताक़
जाम-ए-सरशार क्या करूँ तुझ बिन

गो बहार आई बाग़ में लेकिन
सैर-ए-गुलज़ार क्या करूँ तुझ बिन

दिल है बेताब चश्म है बे-ख़्वाब
जान-ए-'बेदार' क्या करूँ तुझ बिन