आगे कुछ उस के ज़िक्र-ए-दिल-ए-ज़ार मत करो
सब ख़ैरियत है उस से कुछ इज़हार मत करो
जाने दो जो नसीब में होना था सो हुआ
यारो ख़ुदा के वास्ते तकरार मत करो
आईना ले के पहले तनिक सज तो देख लो
मिलने का ग़ैर के अभी इंकार मत करो
सर चढ़ रहा है काल यूँही आशिक़ों के याँ
पट्टी से तुम ये बाल नुमूदार मत करो
ऐ आह-ओ-नाला छुप के मैं आया हूँ इस जगह
आलम को शोर कर के ख़बर-दार मत करो
अपनी बिसात में तो यही जिंस-ए-दिल है याँ
गो अब पसंद इस को ख़रीदार मत करो
प्यारे कमर कहाँ है तुम्हारे यूँही ब-ज़न
सुन कर किसी से झूट पर इसरार मत करो
'क़ाएम' वो तब कहे था शब अहवाल-ए-ख़ल्क़ देख
मुझ सा तो हक़ किसी को तरहदार मत करो
ग़ज़ल
आगे कुछ उस के ज़िक्र-ए-दिल-ए-ज़ार मत करो
क़ाएम चाँदपुरी