आग पानी में फ़रोज़ाँ देखो
तुम भी उस घर का चराग़ाँ देखो
वहशत-ए-ख़्वाब-ए-गुरेज़ाँ देखो
लज़्ज़त-ए-दीद का उनवाँ देखो
देख कर ही तुम्हें ख़ुश हो जाऊँ
मेरी आसूदगी-ए-जाँ देखो
अपने ही लम्स पे है उस का गुमाँ
मेरा इरफ़ाँ मिरा विज्दाँ देखो
मैं बुलंदी नहीं पाताल में हूँ
देखो पाओ तो तह-ए-जाँ देखो

ग़ज़ल
आग पानी में फ़रोज़ाँ देखो
इशरत आफ़रीं