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आग पानी में फ़रोज़ाँ देखो | शाही शायरी
aag pani mein farozan dekho

ग़ज़ल

आग पानी में फ़रोज़ाँ देखो

इशरत आफ़रीं

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आग पानी में फ़रोज़ाँ देखो
तुम भी उस घर का चराग़ाँ देखो

वहशत-ए-ख़्वाब-ए-गुरेज़ाँ देखो
लज़्ज़त-ए-दीद का उनवाँ देखो

देख कर ही तुम्हें ख़ुश हो जाऊँ
मेरी आसूदगी-ए-जाँ देखो

अपने ही लम्स पे है उस का गुमाँ
मेरा इरफ़ाँ मिरा विज्दाँ देखो

मैं बुलंदी नहीं पाताल में हूँ
देखो पाओ तो तह-ए-जाँ देखो