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आदमी जब ख़ून का प्यासा हुआ | शाही शायरी
aadmi jab KHun ka pyasa hua

ग़ज़ल

आदमी जब ख़ून का प्यासा हुआ

सय्यद अहसन जावेद

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आदमी जब ख़ून का प्यासा हुआ
अज़्मत-ए-इंसान भी धोका हुआ

आप को शोहरत मिली अच्छा हुआ
मेरा क्या है मैं अगर रुस्वा हुआ

क़ब्र पर आओगे रोने के लिए
मेरी जाँ ये भी कोई वादा हुआ

वादा-ए-फ़र्दा पे जो टलता रहे
वो मरीज़-ए-हिज्र कब अच्छा हुआ

जब मिरी आवारगी हद से बढ़ी
आबला-पा लाला-ए-सहरा हुआ

अब चमन में वो सकूँ 'अहसन' कहाँ
इक नशेमन था मिला जलता हुआ