सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की
जो नींद आई तिरे ग़म की छाँव में आई
पयाम फ़तेहपुरी
किस ने पाया सुकून दुनिया में
ज़िंदगानी का सामना कर के
राजेश रेड्डी
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ये किस अज़ाब में छोड़ा है तू ने इस दिल को
सुकून याद में तेरी न भूलने में क़रार
शोहरत बुख़ारी