तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फ़लक
मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी
मुनव्वर राना
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
में जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सज्दे में रहती है
मुनव्वर राना
भूके बच्चों की तसल्ली के लिए
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक
नवाज़ देवबंदी
इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर
मेरी शह-रग पे मिरी माँ की दुआ रक्खी थी
नज़ीर बाक़री
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार
निदा फ़ाज़ली
घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में
क़ैसर-उल जाफ़री
सुरूर-ए-जाँ-फ़ज़ा देती है आग़ोश-ए-वतन सब को
कि जैसे भी हों बच्चे माँ को प्यारे एक जैसे हैं
सरफ़राज़ शाहिद