अख़रोट खाएँ तापें अँगेठी पे आग आ
रस्ते तमाम गाँव के कोहरे से अट गए
नासिर शहज़ाद
टैग:
| गांव |
| 2 लाइन शायरी |
नैनों में था रास्ता हृदय में था गाँव
हुई न पूरी यात्रा छलनी हो गए पाँव
निदा फ़ाज़ली
शहर की इस भीड़ में चल तो रहा हूँ
ज़ेहन में पर गाँव का नक़्शा रखा है
ताहिर अज़ीम
टैग:
| गांव |
| 2 लाइन शायरी |
बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता
हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता
तहज़ीब हाफ़ी
टैग:
| गांव |
| 2 लाइन शायरी |