देखना चाहता हूँ गुम हो कर
क्या कोई ढूँड के लाता है मुझे
विकास शर्मा राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
देखना चाहता हूँ गुम हो कर
क्या कोई ढूँड के लाता है मुझे
विकास शर्मा राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
एक बरस और बीत गया
कब तक ख़ाक उड़ानी है
विकास शर्मा राज़
एक किरन फिर मुझ को वापस खींच गई
में बस जिस्म से बाहर आने वाला था
विकास शर्मा राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
एक किरन फिर मुझ को वापस खींच गई
में बस जिस्म से बाहर आने वाला था
विकास शर्मा राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
फ़क़त ज़ंजीर बदली जा रही थी
मैं समझा था रिहाई हो गई है
विकास शर्मा राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
घर में वही पीली तन्हाई रहती है
दीवारों के रंग बदलते रहते हैं
विकास शर्मा राज़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |