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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

देखना चाहता हूँ गुम हो कर
क्या कोई ढूँड के लाता है मुझे

विकास शर्मा राज़




देखना चाहता हूँ गुम हो कर
क्या कोई ढूँड के लाता है मुझे

विकास शर्मा राज़




एक बरस और बीत गया
कब तक ख़ाक उड़ानी है

विकास शर्मा राज़




एक किरन फिर मुझ को वापस खींच गई
में बस जिस्म से बाहर आने वाला था

विकास शर्मा राज़




एक किरन फिर मुझ को वापस खींच गई
में बस जिस्म से बाहर आने वाला था

विकास शर्मा राज़




फ़क़त ज़ंजीर बदली जा रही थी
मैं समझा था रिहाई हो गई है

विकास शर्मा राज़




घर में वही पीली तन्हाई रहती है
दीवारों के रंग बदलते रहते हैं

विकास शर्मा राज़