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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

आईना रू-ब-रू रख और अपनी छब दिखाना
क्या ख़ुद-पसंदियाँ हैं क्या ख़ुद-नुमाईयाँ हैं

ताबाँ अब्दुल हई




आईना रू-ब-रू रख और अपनी छब दिखाना
क्या ख़ुद-पसंदियाँ हैं क्या ख़ुद-नुमाईयाँ हैं

ताबाँ अब्दुल हई




आइने को तिरी सूरत से न हो क्यूँ कर हैरत
दर ओ दीवार तुझे देख के हैरान है आज

ताबाँ अब्दुल हई




आता है मोहतसिब पए-ताज़ीर मय-कशो
पगड़ी को उस की फेंक दो दाढ़ी को लो उखाड़

ताबाँ अब्दुल हई




आता है मोहतसिब पए-ताज़ीर मय-कशो
पगड़ी को उस की फेंक दो दाढ़ी को लो उखाड़

ताबाँ अब्दुल हई




आता नहीं वो यार-ए-सितमगर तो क्या हुआ
कोई ग़म तो उस का दिल से हमारे जुदा नहीं

ताबाँ अब्दुल हई




आतिश-ए-इश्क़ में जो जल न मरें
इश्क़ के फ़न में वो अनारी हैं

ताबाँ अब्दुल हई