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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

तुम्हारे इश्क़ में हम नंग-ओ-नाम भूल गए
जहाँ में काम थे जितने तमाम भूल गए

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




तुम्हारी देख सज ऐ तंग-पोशो
हुए ढीले मिरे कपड़े बदन के

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




तू अपने मन का मनका फेर ज़ाहिद वर्ना क्या हासिल
तुझे इस मक्र की तस्बीह से ज़ुन्नार बेहतर था

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




तू अपने मन का मनका फेर ज़ाहिद वर्ना क्या हासिल
तुझे इस मक्र की तस्बीह से ज़ुन्नार बेहतर था

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




तू जो मूसा हो तो उस का हर तरफ़ दीदार है
सब अयाँ है क्या तजल्ली को यहाँ तकरार है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




तू ने ग़ारत किया घर बैठे घर इक आलम का
ख़ाना आबाद हो तेरा ऐ मिरे ख़ाना-ख़राब

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




तू ने ग़ारत किया घर बैठे घर इक आलम का
ख़ाना आबाद हो तेरा ऐ मिरे ख़ाना-ख़राब

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम