EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मैं अपनी जाँ में उसे जज़्ब किस तरह करता
उसे गले से लगाया लगा के छोड़ दिया

शहज़ाद अहमद




मैं चाहता हूँ हक़ीक़त-पसंद हो जाऊँ
मगर है इस में ये मुश्किल हक़ीक़तें हैं बहुत

शहज़ाद अहमद




मैं गुल-ए-ख़ुश्क हूँ लम्हे में बिखर सकता हूँ
ये भी मुमकिन है कि कुछ देर हवा रहने दे

शहज़ाद अहमद




मैं गुल-ए-ख़ुश्क हूँ लम्हे में बिखर सकता हूँ
ये भी मुमकिन है कि कुछ देर हवा रहने दे

शहज़ाद अहमद




मैं सुन रहा हूँ मगर दूसरों को कैसे सुनाऊँ
जो गीत गूँजता रहता है मेरे कानों में

शहज़ाद अहमद




मैं तिरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता
देख कर मुझ को तिरे ज़ेहन में आता क्या है

शहज़ाद अहमद




मैं तिरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता
देख कर मुझ को तिरे ज़ेहन में आता क्या है

शहज़ाद अहमद