देख तू यार-ए-बादा-कश मैं ने भी काम क्या किया
दे के कबाब-ए-दिल तुझे हक़्क़-ए-नमक अदा किया
शाह नसीर
देखोगे कि मैं कैसा फिर शोर मचाता हूँ
तुम अब के नमक मेरे ज़ख़्मों पे छिड़क देखो
शाह नसीर
देखोगे कि मैं कैसा फिर शोर मचाता हूँ
तुम अब के नमक मेरे ज़ख़्मों पे छिड़क देखो
शाह नसीर
दिला उस की काकुल से रख जम्अ ख़ातिर
परेशाँ से हासिल कब इक दाम होगा
शाह नसीर
दिल-ए-पुर-आबला लाया हूँ दिखाने तुम को
बंद ऐ शीशा-गरो! अपनी दुकाँ कीजिएगा
शाह नसीर
दिल-ए-पुर-आबला लाया हूँ दिखाने तुम को
बंद ऐ शीशा-गरो! अपनी दुकाँ कीजिएगा
शाह नसीर
दिन रात यहाँ पुतलियों का नाच रहे है
हैरत है कि तू महव-ए-तमाशा नहीं होता
शाह नसीर