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सय्यद ज़मीर जाफ़री शायरी | शाही शायरी

सय्यद ज़मीर जाफ़री शेर

11 शेर

उन का दरवाज़ा था मुझ से भी सिवा मुश्ताक़-ए-दीद
मैं ने बाहर खोलना चाहा तो वो अंदर खुला

सय्यद ज़मीर जाफ़री




उन के फाटक में यूँ खड़े हैं हम
जैसे हाकी के गोलकीपर हैं

सय्यद ज़मीर जाफ़री