बात से बात की गहराई चली जाती है
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है
शकील आज़मी
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अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
शकील आज़मी
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