आदमी ही के बनाए हुए ज़िंदाँ हैं ये सब
कोई पैदा नहीं होता किसी ज़ंजीर के साथ
राजेश रेड्डी
इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी
हमारे पास मरने के लिए फ़ुर्सत ज़ियादा थी
राजेश रेड्डी
जितनी बटनी थी बट चुकी ये ज़मीं
अब तो बस आसमान बाक़ी है
राजेश रेड्डी
जुस्तुजू का इक अजब सिलसिला ता-उम्र रहा
ख़ुद को खोना था कहीं और कहीं ढूँढना था
राजेश रेड्डी
कौन पढ़ता है यहाँ खोल के अब दिल की किताब
अब तो चेहरे को ही अख़बार किया जाना है
राजेश रेड्डी
किस ने पाया सुकून दुनिया में
ज़िंदगानी का सामना कर के
राजेश रेड्डी
किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यूँ नहीं होता
राजेश रेड्डी
किया ईजाद जिस ने भी ख़ुदा को
वो ख़ुद को कैसे बहलाता था पहले
राजेश रेड्डी
कुछ इस तरह गुज़ारा है ज़िंदगी को हम ने
जैसे कि ख़ुद पे कोई एहसान कर लिया है
राजेश रेड्डी