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नुसरत ग्वालियारी शायरी | शाही शायरी

नुसरत ग्वालियारी शेर

22 शेर

दिलों के बीच की दीवार गिर भी सकती थी
किसी ने काम लिया ही नहीं तदब्बुर से

नुसरत ग्वालियारी




ढूँडने वाले ग़लत-फ़हमी मैं थे
वो अना के साथ अपने सुर में था

नुसरत ग्वालियारी




बोलते रहते हैं नुक़ूश उस के
फिर भी वो शख़्स कम-सुख़न है बहुत

नुसरत ग्वालियारी




भूल जाने का मुझे मशवरा देने वाले
याद ख़ुद को भी न मैं आऊँ कुछ ऐसा कर दे

नुसरत ग्वालियारी