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नातिक़ लखनवी शायरी | शाही शायरी

नातिक़ लखनवी शेर

12 शेर

मिरी जानिब से उन के दिल में किस शिकवे पे कीना है
वो शिकवा जो ज़बाँ पर क्या अभी दिल में नहीं आया

नातिक़ लखनवी




मोहब्बत-आश्ना दिल मज़हब-ओ-मिल्लत को क्या जाने
हुई रौशन जहाँ भी शम्अ परवाना वहीं आया

नातिक़ लखनवी




उन के लब पर ज़िक्र आया बे-हिजाबाना मेरा
मंज़िल-ए-तकमील तक पहुँचा अब अफ़्साना मेरा

नातिक़ लखनवी