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मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी शायरी | शाही शायरी

मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी शेर

11 शेर

क़श्क़ा नहीं पेशानी पे उस माह-जबीं के
अल्लाह ने ये हुस्न के ख़िर्मन को है चाँका

मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी




शायद मिज़ाज हम से मुकद्दर है यार का
लिक्खा है उस ने हम को ब-ख़्त्त-ए-ग़ुबार ख़त

मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी