कहा इठला के उस ने आइए ना
यहाँ मेरे सिवा कोई नहीं है
मोहम्मद यूसुफ़ पापा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मार लाता है जूतियाँ दो चार
''जो तिरे आस्ताँ से उठता है''
मोहम्मद यूसुफ़ पापा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
यहाँ जितने हैं अपने बाप के हैं
तुम्हारे बाप का कोई नहीं है
मोहम्मद यूसुफ़ पापा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़ुल्फ़ के पेच में लटके हुए शाएर का वजूद
थक चुका होगा उसे मिल के उतारो यारो
मोहम्मद यूसुफ़ पापा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |