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मीर मेहदी मजरूह शायरी | शाही शायरी

मीर मेहदी मजरूह शेर

38 शेर

क्यूँ मेरी बूद-ओ-बाश की पुर्सिश है हर घड़ी
तुम तो कहो कि रहते हो दो दो पहर कहाँ

मीर मेहदी मजरूह




क्यूँ पास मिरे आ कर यूँ बैठे हो मुँह फेरे
क्या लब तिरे मिस्री हैं मैं जिन को चबा जाता

मीर मेहदी मजरूह