जान देने के सिवा और भी तदबीर करूँ
वर्ना ये बात तो हम उस से सदा कहते हैं
मीर मेहदी मजरूह
आ ही कूदा था दैर में वाइ'ज़
हम ने टाला ख़ुदा ख़ुदा कर के
मीर मेहदी मजरूह
हज़ारों घर हुए हैं इस से वीराँ
रहे आबाद सरकार-ए-मोहब्बत
मीर मेहदी मजरूह
हर एक जानता है कि मुझ पर नज़र पड़ी
क्या शोख़ियाँ हैं उस निगह-ए-सेहर-कार में
मीर मेहदी मजरूह
ग़ैरों को भला समझे और मुझ को बुरा जाना
समझे भी तो क्या समझे जाना भी तो क्या जाना
मीर मेहदी मजरूह
एक दल और ख़्वास्त-गार हज़ार
क्या करूँ यक अनार सद बीमार
मीर मेहदी मजरूह
अपनी कश्ती का है ख़ुदा हाफ़िज़
पीछे तूफ़ाँ है सामने गिर्दाब
मीर मेहदी मजरूह
अब्र की तीरगी में हम को तो
सूझता कुछ नहीं सिवाए शराब
मीर मेहदी मजरूह
अब रक़ीब-ए-बुल-हवस हैं इश्क़-बाज़
दिल लगाने से भी नफ़रत हो गई
मीर मेहदी मजरूह