कूचा-ए-यार है और दैर है और काबा है
देखिए इश्क़ हमें आह किधर लावेगा
मीर हसन
क्या जानिए कि बाहम क्यूँ हम में और उस में
मौक़ूफ़ हो गया है अब वो तपाक होना
मीर हसन
क्या शिकवा करें कुंज-ए-क़फ़स का दिल-ए-मुज़्तर
हम ने तो चमन में भी टुक आराम न पाया
मीर हसन
लगाया मोहब्बत का जब याँ शजर
शजर लग गया और समर जल गया
मीर हसन
मैं भी इक मअनी-ए-पेचीदा अजब था कि 'हसन'
गुफ़्तुगू मेरी न पहुँची कभी तक़रीर तलक
मीर हसन
मानिंद-ए-अक्स देखा उसे और न मिल सके
किस रू से फिर कहेंगे कि रोज़-ए-विसाल था
मीर हसन
नाख़ुन न पहुँचा आबला-ए-दिल तलक 'हसन'
हम मर गए ये हम से न आख़िर गिरह गई
मीर हसन
क्यूँ इन दिनों 'हसन' तू इतना झटक गया है
ज़ालिम कहीं तिरा दिल क्या फिर अटक गया है
मीर हसन
क्यूँ गिरफ़्तारी के बाइस मुज़्तरिब सय्याद हूँ
लगते लगते जी क़फ़स में भी मिरा लग जाएगा
मीर हसन