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मंसूर आफ़ाक़ शायरी | शाही शायरी

मंसूर आफ़ाक़ शेर

11 शेर

तुझ ऐसी नर्म गर्म कई लड़कियों के साथ
मैं ने शब-ए-फ़िराक़ डुबो दी शराब में

मंसूर आफ़ाक़




वो तिरा ऊँची हवेली के क़फ़स में रहना
याद आए तो परिंदों को रिहा करता हूँ

मंसूर आफ़ाक़