ये दिल हद से गुज़रना चाहता था
मगर मजबूर हो कर रह गया है
ख़ावर एजाज़
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ये दिल ये शहर-ए-वफ़ा कब उसे पसंद आया
वो बे-क़रार था उस को यहाँ से जाना था
ख़ावर एजाज़
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ज़वाल-ए-अहद तो शायद मुझे न पहचाने
मैं इक हवाला हूँ और कर्बला से आया हूँ
ख़ावर एजाज़
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