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इक़बाल अज़ीम शायरी | शाही शायरी

इक़बाल अज़ीम शेर

21 शेर

अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे

इक़बाल अज़ीम




ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते
सोए हुए ज़ख़्मों को जगा क्यूँ नहीं देते

इक़बाल अज़ीम




अब हम भी सोचते हैं कि बाज़ार गर्म है
अपना ज़मीर बेच के दुनिया ख़रीद लें

इक़बाल अज़ीम