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इंद्र सराज़ी शायरी | शाही शायरी

इंद्र सराज़ी शेर

15 शेर

कितना प्यारा लगता है
होता है जब पूरा चाँद

इंद्र सराज़ी




कुछ हवा का भी हाथ था वर्ना
पर्दा यूँ ही हिला नहीं होता

इंद्र सराज़ी




क्या ख़बर कब बरस के टूट पड़े
हर तरफ़ ऐसी है घटा छाई

इंद्र सराज़ी




क्या ख़बर क्या ख़ता मिरी थी कि जो
मुझ से रूठा रहा ख़ुदा मेरा

इंद्र सराज़ी




राज़-दाँ होते हैं वो घर अक्सर
जिन घरों में धुआँ नहीं होता

इंद्र सराज़ी




सावन की इस रिम-झिम में
भीग रहा है तन्हा चाँद

इंद्र सराज़ी