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हीरा लाल फ़लक देहलवी शायरी | शाही शायरी

हीरा लाल फ़लक देहलवी शेर

21 शेर

चराग़-ए-इल्म रौशन-दिल है तेरा
अंधेरा कर दिया है रौशनी ने

हीरा लाल फ़लक देहलवी




अपना घर फिर अपना घर है अपने घर की बात क्या
ग़ैर के गुलशन से सौ दर्जा भला अपना क़फ़स

हीरा लाल फ़लक देहलवी




ऐ शाम-ए-ग़म की गहरी ख़मोशी तुझे सलाम
कानों में एक आई है आवाज़ दूर की

हीरा लाल फ़लक देहलवी