इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ 'हसन'
जिस क़दर बेचैन तुम हो उस क़दर कोई न हो
हसन बरेलवी
आई क्या जी में तेग़-ए-क़ातिल के
कि जुदा हो गई गले मिल के
हसन बरेलवी
गुलशन-ए-ख़ुल्द की क्या बात है क्या कहना है
पर हमें तेरे ही कूचे में पड़ा रहना है
हसन बरेलवी
एक कह कर जिस ने सुननी हो हज़ारों बातें
वो कहे उन से मुझे आप से कुछ कहना है
हसन बरेलवी
दिल को जानाँ से 'हसन' समझा-बुझा के लाए थे
दिल हमें समझा-बुझा कर सू-ए-जानाँ ले चला
हसन बरेलवी
देख आओ मरीज़-ए-फ़ुर्क़त को
रस्म-ए-दुनिया भी है सवाब भी है
हसन बरेलवी
चोट जब दिल पर लगे फ़रियाद पैदा क्यूँ न हो
ऐ सितम-आरा जो ऐसा हो तो ऐसा क्यूँ न हो
हसन बरेलवी
बोले वो बोसा-हा-ए-पैहम पर
अरे कम-बख़्त कुछ हिसाब भी है
हसन बरेलवी
अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है
आज तो डूबे हुए दिल को उछलने दीजिए
हसन बरेलवी