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हबीब अहमद सिद्दीक़ी शायरी | शाही शायरी

हबीब अहमद सिद्दीक़ी शेर

35 शेर

आफ़ियत की उम्मीद क्या कि अभी
दिल-ए-उम्मीद-वार बाक़ी है

हबीब अहमद सिद्दीक़ी




फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें
चंद तिनके थे नशेमन के जो हम तक पहुँचे

हबीब अहमद सिद्दीक़ी




गुलों से इतनी भी वाबस्तगी नहीं अच्छी
रहे ख़याल कि अहद-ए-ख़िज़ाँ भी आता है

हबीब अहमद सिद्दीक़ी




हाए बे-दाद-ए-मोहब्बत कि ये ईं बर्बादी
हम को एहसास-ए-ज़ियाँ भी तो नहीं होता है

हबीब अहमद सिद्दीक़ी




है नवेद-ए-बहार हर लब पर
कम-नसीबों को ए'तिबार नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी




हर क़दम पर है एहतिसाब-ए-अमल
इक क़यामत पे इंहिसार नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी




हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम ने
ख़रीदी है इक तोहमत-ए-पारसाई

हबीब अहमद सिद्दीक़ी




इक फ़स्ल-ए-गुल को ले के तही-दस्त क्या करें
आई है फ़स्ल-ए-गुल तो गरेबाँ भी चाहिए

हबीब अहमद सिद्दीक़ी