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फ़रियाद आज़र शायरी | शाही शायरी

फ़रियाद आज़र शेर

10 शेर

सुब्ह होती है तो दफ़्तर में बदल जाता है
ये मकाँ रात को फिर घर में बदल जाता है

फ़रियाद आज़र