वक़्त-ए-रुख़्सत तसल्लियाँ दे कर
और भी तुम ने बे-क़रार किया
दिल शाहजहाँपुरी
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ये भीगी रात ये ठंडा समाँ ये कैफ़-ए-बहार
ये कोई वक़्त है पहलू से उठ के जाने का
दिल शाहजहाँपुरी
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