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बयान मेरठी शायरी | शाही शायरी

बयान मेरठी शेर

16 शेर

अदाएँ ता-अबद बिखरी पड़ी हैं
अज़ल में फट पड़ा जोबन किसी का

बयान मेरठी




ऐ तन-परस्त जामा-ए-सूरत कसीफ़ है
बज़्म-ए-हुज़ूर-ए-दोस्त में कपड़े बदल के चल

बयान मेरठी




दिल आया है क़यामत है मिरा दिल
उठे तअ'ज़ीम दे जोबन किसी का

बयान मेरठी




गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो
ग़ोता-ज़न बहर-ए-हक़ीक़त में हूँ गर काई न हो

बयान मेरठी




हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कहाँ से कहाँ
पड़ी है दूर ज़मीं गर्द-ए-कारवाँ की तरह

बयान मेरठी




हज़ारों दिल मसल कर पैर से झुँझला के यूँ बोले
लो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है

बयान मेरठी




कभी हँसाया कभी रुलाया कभी रुलाया कभी हँसाया
झिजक झिजक कर सिमट सिमट कर लिपट लिपट कर दबा दबा कर

बयान मेरठी




नहीं ये आदमी का काम वाइ'ज़
हमारे बुत तराशे हैं ख़ुदा ने

बयान मेरठी




नैरंगियाँ फ़लक की जभी हैं कि हों बहम
काली घटा सफ़ेद प्याले शराब-ए-सुर्ख़

बयान मेरठी