पार दरिया-ए-शहादत से उतर जाते हैं सर
कश्ती-ए-उश्शाक़ की मल्लाह बन जाती है तेग़
बयान मेरठी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
शैख़ के माथे पे मिट्टी बरहमन के बर में बुत
आदमी दैर-ओ-हरम से ख़ाक पत्थर ले चला
बयान मेरठी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वही उठाए मुझे जो बने मिरा मज़दूर
तुम्हारे कूचे में बैठा हूँ मैं मकाँ की तरह
बयान मेरठी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वो हटे आँख के आगे से तो बस सूरत-ए-अक्स
मैं भी इस आईना-ख़ाना से निकल जाऊँगा
बयान मेरठी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वो पोशीदा रखते हैं अपना तअ'ल्लुक़
इधर देख कर फिर उधर देख लेना
बयान मेरठी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
याद में ख़्वाब में तसव्वुर में
आ कि आने के हैं हज़ार तरीक़
बयान मेरठी
ये तासीर मोहब्बत है कि टपका
हमारा ख़ूँ तुम्हारी गुफ़्तुगू से
बयान मेरठी
टैग:
| मोहब्बत |
| 2 लाइन शायरी |