यूँ बार बार मुझ को सदाएँ न दीजिए
अब वो नहीं रहा हूँ कोई दूसरा हूँ मैं
अज़्म शाकरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़ख़्म जो तुम ने दिया वो इस लिए रक्खा हरा
ज़िंदगी में क्या बचेगा ज़ख़्म भर जाने के ब'अद
अज़्म शाकरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़िंदगी मेरी मुझे क़ैद किए देती है
इस को डर है मैं किसी और का हो सकता हूँ
अज़्म शाकरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |